शेर और ख़रगोश की कहानी
एक बहुत ही घना जंगल था, उस जंगल में बहुत सारे जानवर पक्षी पेड़ – पौधें सब आपस में प्यार से रहते थे।
एक दिन उस जंगल में एक बूढ़ा शेर आया। वह जंगल के सभी जानवरों का शिकार करने लगा, वह शेर अपने भोजन से ज्यादा जानवरों को मारने लगा था।
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शेर और ख़रगोश |
उससे परेशान होकर एक दिन सभी जानवरों ने जंगल में एक सभा लगायी और शेर को उस सभा में बुलाया और अपनी फरियाद सुनायी।
जानवरों ने कहा – महाराज अगर आप ऐसे ही जानवरों को मारते रहेंगे तो जल्दी ही सभी जानवर खत्म हो जाएंगे।
शेर दहाड़ते हुए बोला – इसमें में क्या कर सकता हूँ।
जानवरों ने कहा :- महाराज…आप बूढ़े हो चुके हैं, इसलिए आप अपने माद में रहें।
हम रोज एक जानवर आपका भोजन बनने के लिए आ जाया करेंगे, आप उसका शिकार कर लेना जिससे आपकी भूख भी मिट जायेगी।
शेर ने सोचा चलो अच्छा हैं, अब मुझे शिकार करने की मेहनत नहीं करनी पड़ेगी।
यह सोच शेर जानवरों की बात पर राजी हो गया।
उसदिन के बाद प्रतिदिन एक जानवर शेर का शिकार बनने उसके पास जाता था, और शेर उसे खा अपनी भूख मिटाता था।
एक दिन भोजन बनने की बारी ख़रगोश की आयी। ख़रगोश बहुत चालक और होशियार था।
ख़रगोश जानबूझ कर शेर के पास देर से गया, उसे देख शेर गुस्से से लाल हो गया।
शेर ने पूछा : अरे ख़रगोश तुम इतनी देर से क्यो आये…?
ख़रगोश बोला : महाराज आज दो ख़रगोश आपके भोजन के लिए आ रहे थे।
लेकिन अचानक जंगल में एक दूसरा शेर मिल गया, उसने एक ख़रगोश को खा लिया। में बहुत ही मुश्किल से आपके पास आया हूँ।
ख़रगोश की बात सुन शेर गुस्से से दहाड़ने लगा, उसने कहा : इस जंगल में मेरे अलावा कौन शेर आ गया हैं। तुम चलो मुझे दिखाओ में अभी उसे मार डालूँगा।
ख़रगोश, शेर को एक कुँआ के पास ले गया, उसने कहा : महाराज वह शेर इसी कुँआ में रहता हैं।
शेर ने कुँआ में देखा तो उसे पानी में अपनी ही परछाई दिखी।
शेर गुस्से में उसे दूसरा शेर समझ बैठा, उसने बिना सोचे समझे कुएँ में छलांग लगा दिया। शेर उस कुएँ में जा गिरा और बेचारा मर गया।
जंगल के सभी जानवर खुशी से झूमने लगे। सभी में उस ख़रगोश को धन्यवाद दिया और फिर से जंगल में सभी जानवर बिना डर के रहने लगे।
शिक्षा – बुद्धि बल से बड़ी होती हैं।
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