एक जंगल में एक कौआ रहता था , एक दिन उसने हंस को देखा तो उसने सोचा हंस कितना सुंदर हैं में ऐसा क्यों नहीं हूँ वह हंस से जाकर मिला और हंस की तारीफ़ करने लगा ,
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हंस बोला नहीं मित्र में तो हमेशा सोचता हूँ की मुझ से सुंदर तोता हैं , क्यों की वह इंसानों जैसी आवाज भी निकाल लेता हैं , उसके पास दो रंग हैं ,
अब कौआ तोता से मिलने गया और कहा मित्र तुम कितने सुंदर हो क्या में भी तुम्हारे जैसा बन सकता हूँ ?
तोते ने कहा मित्र में तो समझता हूँ की मुझ से सुंदर मोर हैं उसके पास बहुत सुंदर पंख हैं , और मोर नाच भी सकता हैं जिसे देखने बहुत से लोग आते हैं ,
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अब कौआ मोर के पास गया और बहुत ही ख़ुशी मन से बोला मित्र तुम कितने सुंदर हो क्या में भी मोर जैसा दिख सकता हूँ ,
तब मोर ने कहा मित्र में तो सोचता था की इस जंगल का सबसे अच्छा पक्षी कौआ हैं…क्यों की कौआ जहाँ चाहे उड़ कर जा सकता हैं , कौआ मजबूत पक्षी होता हैं और अगर देखा जाए तो सभी पक्षियों में कौआ ही अकेला पक्षी हैं जिसे पिंजरे में नहीं रखा जाता ,
क्या फायदा इस सुन्दरता से मुझे तो चिड़ियाघर में बंद कर के रखते हैं .
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अब कौए को बात समझ आ गयी , और उसने मोर को धन्यवाद दिया और वहाँ से उड़ गया ,
दोस्तों इंसानों के साथ भी कुछ ऐसा ही होता हैं , हम हमेशा दुसरे की खासियत को देखते रहते हैं , हमारे अंदर जो खासियत मौजूद हैं वो हमे नहीं दिखता और यही वजह होती हैं की हम सब कुछ रहते हुए भी खुश नहीं होते हैं ,
इस कहानी में एक बात बहुत अच्छी थी की कौए के अंदर की खासियत उसे मिल गयी और कौआ खुश हो गया लेकिन तोता , हंस और मोर उसी गलतफहमी में फंसे रहे और दुखी रहे , क्यों की खासियत तो उनके अंदर भी थी लेकिन सब दुसरे की खासियत खोजने में लगे थे , एक बार अपने अंदर खोजिये आप को पता चल जायेगा की आपके अंदर क्या खासियत हैं ,